कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ
कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआतेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ चारों तरफ़ हवाओं में उस की महक तो हैमुरझा रही है साँस की माला तो क्या हुआ बदले में तुझको दे तो गए भूक और प्यासमुँह से जो तेरे छीना […]
ग़ज़लदुनिया ने मुझ पे फेंके थे पत्थर जो बेहिसाब, मैंने उन्हीं को जोड़ के कुछ घर बना लिए
कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआतेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ चारों तरफ़ हवाओं में उस की महक तो हैमुरझा रही है साँस की माला तो क्या हुआ बदले में तुझको दे तो गए भूक और प्यासमुँह से जो तेरे छीना […]
ग़ज़ल