डॉ० कुँअर बेचैन जी का साहित्य
डॉ० कुँअर बेचैन ऑफीशियल वेबसाईट
Uncategorised
Uncategorised
Uncategorised
दुनिया ने मुझ पे फेंके थे पत्थर जो बेहिसाब, मैंने उन्हीं को जोड़ के कुछ घर बना लिए
कवि नाम– डा॰ कुँअर बेचैन
पूरा नाम– कुंवर बहादुर सक्सेना
जन्म-तिथि एवं जन्म-स्थान : 1 जुलाई, 1942, उ॰प्र॰
देहावसान : 29 अप्रैल 2021, नोएडा, उ॰प्र॰ (कोरोना रोगग्रस्त होकर)
पिता- श्री नारायणदास सक्सेना (स्व.)
माँ- श्रीमती गंगादेवी सक्सेना (स्व.)
37 पुस्तकें प्रकाशित –
दस गीत संग्रह –
1-पिन बहुत सारे (1972) 2- भीतर सांकल बाहर सांकल (1978) 3- उर्वशी हो तुम (1987)
4- झुलसो मत मोरपंख (1990) 5-नदी पसीने की (2005), 6- दिन दिवंगत हुए (2005)
7- लौट आए गीत के दिन (2011), 8- कुँअर बेचैन के प्रेमगीत (2006) 9- कुँअर बेचैन के नवगीत (2006),
10- एक दीप चौमुखी (1997)
सोलह हिन्दी ग़ज़ल-संग्रह—
1-शामियाने काँच के (1983) 2- महावर इंतज़ारों का (1983) 3- रस्सियाँ पानी की (1987),
4- पत्थर की बांसुरी (1990), 5-दीवारों पर दस्तक (1991), 6- नाव बनता हुआ कागज (1992),
7- आग पर कंदील (1995) 8- आंधियों में पेड़ (1996), 9- आँगन की अलगनी (1997), 10- तो सुबह हो (2001),
11- कोई आवाज़ देता है (2005), 12-धूप चली मीलों तक(2010), 13- आंधियो धीरे चलो (2006),
14- खुशबू की लकीर (2008), 15- आठ सुरों की बाँसुरी (1997) 16- हलंत बोलेंगे.(2018)
17- मौत कुछ सोच के तो आएगी (2022)
दो कविता संग्रह– (अतुकांत)
1- शब्द: एक लालटेन (1996) 2- नदी तुम रुक क्यों गईं (1996)
एक महाकाव्य-
प्रतीक पांचाली ( पौने चार सौ पृष्ठों में ) (2016)
एक माहिया संग्रह-
कह लो जो कहना है (2021)
अन्य–
एक दोहा संग्रह—दो होठों की बात / एक हाइकु संग्रह—पर्स पर तितली, (2010)
दो उपन्यास-
1-मरकत द्वीप की नीलमणि (ललित उपन्यास) (2001)
2- जी हाँ, मैं गजल हूँ (मिर्ज़ा गालिब पर आधारित) ((2007)
सैद्धांतिक पुस्तक–
1-गजल का व्याकरण (1996) [चार संस्करण प्रकाशित]
यात्रा-वृतांत–
1-बादलों का सफर (यात्रा वृतांत) (2007)
प्रकाश्य पुस्तकें–
एक लघुकथा-संग्रह, एक जनक छंद-संग्रह, एक तांका-संग्रह,
एक संस्मरण की किताब, एक किताब अपने मित्रों का जीवन, सात पुस्तकें समीक्षा की
मानद पद- सदस्य, हिन्दी सलाहकार समिति, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार
ग़ाज़ियाबाद की एन.जी.ओ. से जुड़कर कई झुग्गी-बस्तियों में बच्चों के लिए प्रौढ़ शिक्षा अभियान चलाया ।
सुर संकेत त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का संपादन
कवि सम्मेलन-
-पिछले 61 वर्षों से देश-विदेश के लगभग 4000 से भी अधिक कविसम्मेलनों में भागीदारी
कवि कुँअर बेचैन के साहित्यं पर शोध-कार्य– -22 शोधार्थियों को कुँअर बेचैन के साहित्य पर पीएच॰डी॰ की
उपाधि प्राप्त
कवि के निर्देशन में शोध-कार्य –
कवि के निर्देशन में 22 शोधार्थियों को पीएच॰ डी॰ की उपाधि प्राप्त ( जिनमें डॉ. कुमार विश्वास तथा
डॉ. प्रवीण शुक्ल जैसे प्रसिद्ध कवि भी हैं)
कवि की कवितायें पाठ्यक्रमों में-
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में उर्दू साहित्य के पाठ्यक्रम के साथ साथ अनेक अन्य विश्वविद्यालयों में एम॰ए॰ तथा बी.ए. के पाठ्यक्रमों में कवि की रचनाएं संकलित
बोर्ड- महाराष्ट्रऔर गुजरात बोर्ड में भी कवि की रचनाएँ पाठ्यक्रमों में संकलित
संरक्षक –
2 माह की अवस्था में ही पिता का देहांत
7 वर्ष की उम्र तक पहुँचते माँ का भी स्वर्गवास
2 वर्ष की आयु से ही बहनोई श्री जंगबहादुर सक्सेना एवं बहिन श्रीमती प्रेमवती द्वारा पालित-पोषित
9 वर्ष की उम्र पर बहिन का भी निधन फिर घर की चाबी कुंजी खुद के हाथ
1978 में बहनोई साहब का भी निधन
शिक्षा एवं शिक्षा-दीक्षा-स्थान-
एम॰काम॰, एम॰ए॰हिन्दी, पीएच॰डी॰(हिन्दी),
चंदौसी, ज़िला मुरादाबाद, उ॰प्र॰
कार्य-क्षेत्र –
1965 से 2002 तक एम. एम. एच. पी.जी. कालिज गाजियाबाद के हिन्दी विभाग में अध्यापन और हिन्दी-विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत.
दूरदर्शन द्वारा —
डॉ. कुँअर बेचैन के गीत ‘ बिटिया ने जन्म लिया हमारे अँगना फूल बरसे’ पर शार्ट फ़िल्म बनी जिसमें मशहूर
फिल्म-अभिनेत्री वहीदा रहमान तथा दीया मिर्जा ने अभिनय किया)
दूरदर्शन के अनेक गायकों ने डॉ. कुँअर बेचैन के कई गीत गाये जिनमें प्रसिद्ध गायिका सुश्री उमा गर्ग प्रमुख हैं
आकाशवाणी– ऑल इंडिया रेडियो दिल्ली से सम्बद्ध
‘अमर रहे गाँधी की गाथा अमर रहे’ (डॉ. कुँअर बेचैन के गीत को आकाशवाणी के कलाकारों द्वारा गायन)
इसके अतिरिक्त कई अन्य गीत भी आकाशवाणी कलाकारों द्वारा गाये गए
सम्मान-पुरस्कार-
देश-विदेश की लगभग 100 संस्थाओं से भी अधिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित,
1-उत्तर प्रदेश के हिन्दी संस्थान द्वारा 50 हजार का साहित्य भूषण सम्मान (2002)
2- उत्तर प्रदेश के हिन्दी संस्थान द्वारा दो लाख का हिन्दी गौरव सम्मान (2006),
3- मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दो लाख का राष्ट्रीय कवि प्रदीप सम्मान (2019)
4- मुंबई की परिवार संस्था द्वारा 51 हजार का परिवार पुरस्कार (2004)
5- कोलकोता में कन्हैया लाल सेठिया सम्मान 51 हजार (2016)
6- हाउस ऑफ कॉमन्स (युनाइटेड किंगडम) में सम्मान (2015)
एवं अन्य अनेक एक लाख और पचास हजार के सम्मान एवं देश-विदेश की अनेक संस्थाओं द्वारा प्राप्त 100 से
अधिक महत्वपूर्ण सम्मान एवं पुरस्कार
सम्मान–
भारत के राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानीजेलसिंह एवं डा॰शंकरदयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रपति भवन में अभिनंदन,
उपाधियाँ- कविरत्न, भारत गौरव, गीतपुरुष, भारतश्री, राष्ट्रीय आत्मा पुरस्कार आदि।
विदेश-यात्राएं – साहित्यिक एवं अन्य–
मारीशस [दो बार], रूस, सिंगापुर, इन्डोनेशिया, मस्कट, अमेरिका- [पाँचबार],कनाड़ा(दो बार) यू॰के॰- [चार बार]
,दुबई- [तीन बार],सूरीनाम, हालेंड, फ्रांस, जर्मनी, वेल्जियम, स्विट्ज़रलैंड, लकसमबर्ग, पाकिस्तान, जापान
, आस्ट्रेलिया, जोहन्सबर्ग, कीनिया, आबू धाबी.
विश्व हिन्दी सम्मेलन में भागीदारी— यू.के.(1999), सूरीनाम (2003), जोहन्सबर्ग (2012), भोपाल (2015)
एवं मारीशस (2018)
केसेट एवं सी॰डी॰-
1.पहली नज़र[इन्डोनेशिया के गायक अनिलकान्त रीनाकान्त द्वारा कवि की गजलें गाई गईं]
2.प्यार के छींटे, 3. आहटें, 4.धूप चली मीलों तक ,[कुँवर बेचैन के स्वर में]
5 ज़रा सी धूप,एल्बम [कुँअर बेचैन अपनी ही गजलो के गायक के रूप में साज के साथ ]
फिल्म में गीत–
1-‘कोख’ फ़िल्म में गीत ( श्री रवींद्र जैन जी का संगीत एवं हेम लता जी का गायन)
,2- यू॰के॰ के प्रोड्यूसर एवं फिल्म निर्देशक श्री निखिल कौशिक द्वारा निर्मित में बनी फिल्म “भविष्य द फ्यूचर” में दो गीत,
3- आगे आने वाली अन्य दो फिल्मों के लिए भी गीत-लेखन एवं एक में पांच मिनट का अभिनय भी)
टी.वी. सीरियलों के लिए गीत-लेखन- ‘क्या फर्क पड़ता है’ सीरियल के लिये गीत
टी.वी. शार्ट फ़िल्म के लिए गीत–‘रास्ता छोड़ो मेडम’ के गीत (श्री श्रीकांत सक्सेना द्वारा निर्मित)
टीवी. चैनलों पर काव्य-पाठ–आज तक, एन डी टी वी, सब टीवी ( वाह वाह क्या बात है)
-फ़ेस टू फ़ेस (साधना प्लस चैनल) : डा० कुँअर बेचैन जी की कहानी उन्हीं की ज़ुबानी
-सफ़र सौ साल का ( डी०डी० उर्दू ) – डा० कुँअर बेचैन जी का साक्षात्कार श्रीकांत सक्सेना जी द्वारा
-शख़्सियत (राज्यसभा टी०वी०) – डा० कुँअर बेचैन
-साहित्य संसार (लोकसभा टी०वी०) – डा० कुँअर बेचैन
-रूबरू (मारवाह स्टूडियो) – डा० कुँअर बेचैन
कोरोना रोगग्रस्त होकर 12 अप्रैल 2021 को अस्पताल में भर्ती हुए और 29 अप्रैल 2021 की दोपहर 12.21 पर अंतिम साँस ली । अस्पताल बैड पर भी काव्य लेखन जारी रहा और 39 ग़ज़लें, 1 गीत तथा अन्य लेखन कार्य करके साहित्य सेवा में लगे रहे ।
कुँअर आम आदमी की जुबान का कवि
डॉ० कुँअर बेचैन जन-जन के कवि हैं। भाषा और विषयवस्तु के कारण उनकी रचनाएँ लोकप्रिय होती रही हैं। आज के कवियों में बेचैन का अपना एक विशिष्ट स्थान है। उनके गीतों और गजलों में आम आदमी की जुबान को अभिव्यक्ति मिली है। उनकी अनेक विधाओं में अनेक उपलब्धियाँ हैं। प्रस्तुत गीतों में उनकी जनवादी छवियाँ देखते ही बनती है। मैं उनकी निरन्तर उन्नति की कामना करता है।
– पद्मश्री गोपाल दास नीरज
.
तन-मन-प्रान, मिटे सबके गुमान
एक जलते मकान के समान हुआ आदमी
छिन गये बान, गिरी हाथ से कमान
एक टूटती कृपान का बयान हुआ आदमी
भोर में थकान, फिर शोर में थकान
पोर-पोर में थकान पे थकान हुआ आदमी
दिन की उठान में था, उड़ता विमान
हर शाम किसी चोट का निशान हुआ आदमी