साधकर फूलों से चेहरों पर निशाने काँच केHomeग़ज़ल by drkunwarbechainpoetry2023 [email protected] April 29, 2023 2 2 yrs ग़ज़ल Post navigation Previous postNext post 2 thoughts on “साधकर फूलों से चेहरों पर निशाने काँच के” बहुत खूब आभार आपका Comments are closed.
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